आजकल भारत मेंआर्थिक हालात ठीक नहीं हैं. शेयर बाज़ार में गिरावट रुकने का नाम नहीं ले रही और रुपया हैं की थमने का नाम नहीं ले रहा. ऐसे हालात में जब सरकार पहले से ही भ्रस्टाचार के आरोपों से परेशान हैं, उसके लिए आर्थिक परिशितियो को सुधार पाना लगभग नामुनकिन हैं.
डोल्लर की तुलना में रूपये का गिरना इशारा करता हैं इस तरफ की हालत अभी भी नाज़ुक हैं और अब विदेशी नेवेशेक भी भारतीय बाज़ार से कट रहे हैं.
अगर हम ये मान भी ले की लम्बी अवधि के लिए अभी भी भारतीय बाज़ार आकर्षक हैं, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता की इन चीजों ने बड़ी गंभीर समाश्या क उजागर किया हैं और वो हैं भारतीय सरकारी तंत्र जो अभी भी ज्यादा कुछ काम का नहीं हैं.
Speak Your Mind