December 20, 2011 by akhilendra
भारितीय बाज़ार और हालात
आजकल भारत मेंआर्थिक हालात ठीक नहीं हैं. शेयर बाज़ार में गिरावट रुकने का नाम नहीं ले रही और रुपया हैं की थमने का नाम नहीं ले रहा. ऐसे हालात में जब सरकार पहले से ही भ्रस्टाचार के आरोपों से परेशान हैं, उसके लिए आर्थिक परिशितियो को सुधार पाना लगभग नामुनकिन हैं.
डोल्लर की तुलना में रूपये का गिरना इशारा करता हैं इस तरफ की हालत अभी भी नाज़ुक हैं और अब विदेशी नेवेशेक भी भारतीय बाज़ार से कट रहे हैं.
अगर हम ये मान भी ले की लम्बी अवधि के लिए अभी भी भारतीय बाज़ार आकर्षक हैं, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता की इन चीजों ने बड़ी गंभीर समाश्या क उजागर किया हैं और वो हैं भारतीय सरकारी तंत्र जो अभी भी ज्यादा कुछ काम का नहीं हैं.
हलाकि अभी काफी शेएर बाज़ार से जुढ़े हुए लोग ये कह रहे हैं की भारत की अर्थव्यवस्था अभी भी मजबूत हैं लेकिन मौजूदा हालत को देखकर तोह यही लगता हैं की पिछले कुछ साल शायद इसलिए बेहतर थे क्यूंकि बाकी देशो में हालात हमसे से बदतर थे.
और अब जब हालत वहाँ सुधर रहे हैं या फिर यु कहें की हमारी हालत भी ख़राब हो रही हैं वो वापस अपना रुख मोड़ रहे हैं. हमारे लिए समझना बहुत जरूरी हैं की हमारें हालात के ज़िम्मेदार हम ही हैं और सरकारी तंत्र का ढीलापन परिस्थियों को और ख़राब कर रहा हैं.
रेसेर्वे बैंक को अब कुछ ठोश कदम उठाने चाहिए ताकि भविष्य ऐशी परिशित्यो को बचाया जा सके. सरकार को अनाज की बर्बादी रोकने के लिए इंतज़ाम करने चाहिए जिससे महगाई दर काबू में रहे.
और कंपनियों को भविष्य को ध्यान में रख कर विस्तार योजनाये बनानी चाहिए ताकि ख़राब हालातो में भी वो अपने आप को बचा सके नाकि सरकार से मदद की मांग करें.
ऐसा नहीं हैं की भारत में हालात काबू में नहीं आ सकते लेकिन उसके लिए सही कदम उठाने पठेंगे.
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